भाई साहब लोग,
हम लोगों का कैस और प्रमोशन का केस तब तक नहीं होगा, जब तक मैनेजमेंट या टीचर को दर्द (हमारा) महसूस नहीं होगा. अब सवाल ये है कि ये दर्द महसूस कैसे हो. आप सब तो ये एक्सामिनेशन करवाने में मस्त हो. ये वाला एक्साम भी हो जायेगा. एक्साम की अगली गाड़ी ६ महीने के बाद आएगी. इस तरह आप लोगों की जिन्दगी पूरी हो जायेगी. मस्त रहो... मस्त॥///
बात दर्द की थी. दर्द या तो महसूस होता है या करवाया जाता है. ACD के लैटर में (जो गुजराल जी को दिया गया है) कमिटी की बात हो रही है. अब कमिटी तो तब बनाईं जाती है जब कोई डिसीजन न लेना हो.डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी करते करते, कहीं ३१ जुलाई न आ जाये. कुछ होतो कर लो, नहीं तो विदाई समारोह की तय्यारी ही ठीक है.कोई टीचर है हम लोगों का साथ देने के लिए? किसी को चिंता नहीं है. हम लोग किसके भरोसे पर बैठे हैं?
डॉ आर सी शर्मा
Wednesday, June 3, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment