कम से कम अब तो हमें यह समझ जाना चाहिए कि इस लड़ाई में हम अकेले हैं. दूसरी बात, ये लड़ाई सिर्फ CAS या retirement age के लिए नहीं है. ये दोनों मुद्दे हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हमारा विरोध उस व्यवस्था से, उस विचारधारा से है जो हमें हमारे अधिकारों से वंचित करती है. ये कुछ लोग कैसे हमारे भाग्यविधाता बन बैठे हैं ? क्यों हम चुप हैं, जबकि इस विश्वविद्यालय को चलाने वाले चक्कों की धुरी हम ही हैं ?
मैं नहीं समझता हमें IGNOUTA से कोई अपेक्षा करनी चाहिए. उनकी अपनी मजबूरियाँ हैं. इसलिए जितनी जल्दी यह मोहभंग हो जाये अच्छा. हमें अपनी लड़ाई खुद लडनी होगी. अपनी एक अलग पहचान बनानी होगी.
एक बात और. हमें डर छोड़ना होगा. डरे हुए लोग लड़ नहीं सकते. शायद इसी वजह से हम अब तक हारते आ रहे हैं.
आखिर कब तक ?